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वास्तुदोष विधान
वास्तुदोष के बारे में ज्ञान और उपाय वास्तुशास्त्र में प्रदान किए जाते हैं। वास्तुशास्त्र हिंदू धर्म में अपने घर, दुकान या किसी भी स्थान को ऊर्जा के दृष्टिकोण से समृद्ध, सुखी और समृद्धि से भर देने के लिए उपयोगी नुस्खे और उपायों के बारे में बताता है।
वास्तुदोष की कुछ आम चीजें हैं:
वास्तु दोष निवारण के लिए घर के पूर्व और दक्षिण में विशेषकर वास्तु दोष निवारक यंत्र (यन्त्र) लगाने की प्रथा प्रचलित है। इन यंत्रों के चारों तरफ स्थानीय स्त्रियां पूजा-अर्चना कर सकती हैं और इससे वातावरण में शुभ ऊर्जा फैलती है।
- मिरर (दर्पण) का उपयोग: वास्तुशास्त्र में कहा गया है कि घर में कुछ ऐसे स्थान होते हैं जिनसे नकारात्मक ऊर्जा का संचय होता है। ऐसे स्थानों पर दर्पण (मिरर) रखने से नकारात्मक ऊर्जा का विसर्जन होता है और शुभता की ऊर्जा का विस्तार होता है।
- सुलेमानी पत्थर: वास्तुशास्त्र में कुछ विशेष प्रकार के पत्थरों का उपयोग शुभता और समृद्धि के लिए किया जाता है। सुलेमानी पत्थर एक प्रकार का दुर्लभ पत्थर होता है जिसे धार्मिक एवं वैज्ञानिक मान्यता है।
- सूर्या की देवी को पूजन: सूर्य की देवी को पूजन करने से विधान दोषों का निवारण होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचय होता है।
- साफ-सफाई और सजावट: वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर को स्वच्छ रखना और उसे सजावटी बनाना भी बहुत महत्वपूर्ण है। सफाई और सजावट से घर में शुभता की ऊर्जा का संचय होता है।
- तुलसी का पौधा: तुलसी का पौधा वास्तुशास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे घर में लगाने से घर में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का संचय होता है।
- सुरक्षा के लिए वास्तु दोष निवारण: वास्तुदोष निवारण के लिए विशेषज्ञ सलाह लेना और सुरक्षा के लिए वास्तु उपाय करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।