उत्तर गुजरात के वढ़ियार प्रदेश में आए हुए महातीर्थ शंखेश्वर के पास में आई गुरु जन्मभूमि मांडल गाँव में जन्मभूमि को कर्मभूमि बनाने की विशाल भावना अनेक संकल्पों द्वारा अनेक गुरुभगवंतों की प्रेरणा से प्राप्त हुई।
जैन धर्म के पावर हाउस समान श्रीमद् यशोविजयजी जैन संस्कृत पाठशाला में शुद्धि के साथ जैन धर्म के शास्त्र का गहन अभ्यास किया।
अहमदाबाद के अनेक संघों के भीतर अनेक साधु-साध्वी भगवंत सम्यग्ज्ञान का दीपक प्रज्वलित करने का कार्य कर रहे हैं। प.पू. शास्त्रसंशोधक श्री धर्मरत्न म. सा. के पास प्राचीन आगम एवं लिपिशास्त्र का तीन वर्ष पर्यंत संशोधन कर अनेक विषय पर मार्गदर्शन प्राप्त किया।
अनेक गुरु भगवंतों के आशीर्वाद मार्गदर्शन सहयोग तले अनेक ऋषिमुनियों द्वारा अनेक प्राचीन विद्याओं का अध्ययन कर “श्री ऊँकार लब्धि साधना केन्द्र” की स्थापना की।
इस साधना केन्द्र द्वारा साधारण मनुष्य के घरों में सुख व शांति स्थापित करने के संकल्प द्वारा सोलह सालों से लोकहित के लिए अनेक प्रकार के अथाग प्रयत्न कर रहे हैं। अब तक 11000 से भी अधिक घरों में वास्तु विधान और 75000 से भी अधिक प्रॉपर्टी की विज़िट करके 6000 से भी अधिक का कुंडली के हिसाब से विधि-विधान करके उसका अनुज्ञान करके समस्या का निवारण करने का अमूल्य कार्य किया है।